सुखासन सभी योगासनों में सबसे आसान आसन है। योगसाधक सुखासन में ध्यान के लिए बैठते हैं और प्राचीन ऋषि-मुनि तपस्या के लिये यही मुद्रा मै बैठते थे। इसलिए ध्यान करते समय वे शायद इसी आसन पर बैठ जाते हैं। आइये जानते है sukhasana in hindi
सुखासन क्या है?
सुखासन के नाम में सब कुछ समाया हुआ है। सुखासन दो शब्दों “सुख” और “आसन” के मेल से बना है। सुख का अर्थ ‘विश्राम’ है और ‘आसन’ का अर्थ है बैठने की स्थिति।
सुखासन हठ योग में सबसे सरल आसनों में से एक है। सुखासन को अंग्रेजी में Easy pose कहते हैं। इस आसन को किसी भी उम्र के योग साधक बहुत ही आसानी से कर सकते हैं।
सुखासन का नियमित अभ्यास मस्तिष्क और शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं सुखासन करने का सही तरीका, फायदे और देखभाल आगे दिये हैं। आइये जानते है sukhasana in hindi मै
सुखासन करने का सही तरीका
- सुखासन करते हुए सबसे पहले योगा मैट पर बैठ जाएं। अपनी रीढ़ को सीधा रखें, अपनी गर्दन को सीधा रखें और अपने पैरों को अपने सामने फैलाएं।
- फिर दोनों पैरों को मोड़कर जांघों पर बैठ जाएं। ऐसी स्थिति में बैठ जाएं जहां घुटने बाहर की ओर हों।
- अगर आप आराम से बैठे हैं तो ध्यान दें। अपने घुटनों को जमीन पर रखने की कोशिश करें। जब आप अपनी जाँघों पर बैठेंगे तो आपके पेट और पैरों में एक त्रिभुज की आकृति बनेगी।
- जाँघों पर बैठने के बाद रीढ़ की हड्डी सख्त होनी चाहिए, कंधों को फैलाना चाहिए।
- आप इस बैठने की स्थिति में जब तक चाहें तब तक बैठ सकते हैं जब तक कि आपका शरीर आराम महसूस न करे।
- इस बैठने की स्थिति में रुकने के बाद, पिछली स्थिति में वापस आएं और दूसरे पैर के साथ इस सीट को फिर से दोहराये , या इस आसन को करते समय कभी दाएं पैर से और कभी बाएं पैर से आसन करे।
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सुखासन के लाभ
♦ सुखासन के नियमित अभ्यास से मस्तिष्क और शरीर के बीच संतुलन बना रहता है।
♦ इस आसन को करने से सात चक्र और कुंडलिनी को उत्तेजित करने में मदद मिलती है।
♦ नियमित सुखासन छाती और हैजा की हड्डियों को स्ट्रेच करने में मदद करता है और उन्हें लचीला और मजबूत बनाता है।
♦ नियमित सुखासन से रीढ़, घुटनों और पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
♦ इस आसन के नियमित अभ्यास से अस्वास्थ और मनोविकृति जैसी बीमारियों से राहत पाने में मदद मिलती है।
♦ मन शांत रहता है और शरीर तरोताजा रहता है।
सुखासन करते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ
- सुखासन करने से पहले पेट साफ करना चाहिए।
- सुखासन सुबह के समय करना चाहिए।
- सुखासन को खाली पेट हीं करना चाहिये ऐसा कुछ नही है, लेकिन सुखासन करने से पहले अगर आप दूसरा योग करना चाहते हैं तो योगासन से पहले 4-5 घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
निष्कर्ष
यदि आप अपनी फिटनेस बढ़ाने का तरीका ढूंढ रहे हैं, तो आप बद्धकोणासन (तितली आसन) करने का विचार कर सकते हैं। जब बद्धकोणासन ठीक से किया जाता है, तो लचीलेपन में सुधार करते हुए ताकत और सहनशक्ति बनाने का यह एक प्रभावी और सुरक्षित तरीका हो सकता है। अगली बार जब आप कक्षा में हों, तो इस आसन को देखें और अपने प्रशिक्षक से पूछें कि क्या आप कोशिश कर सकते हैं।
दोस्तों सुखासन का महत्व आप अपने जीवन में पहले sukhasana in hindi मै ही देख चुके होंगे इस लेख में हम सुखासन करने की उचित विधि, लाभ और देखभाल के बारे में जानेंगे। आइए योग की सही विधि का उपयोग करके अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं।
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